*** अमलेश सोनकर का मचान *** मेरे घर से आधा किमी की दूरी पर है अमलेश का खेत। दूर से मैने देखा तो सफेद चांदी सा कुछ जमा था खेत में। थोड़ा पास गया तो एक बच्चे ने बताया – “रेक्सहवा कोंहड़ा है। इसकी मिठाई बनती है।” ज्यादा पास जाने पर अमलेश मिले। वे खेतContinue reading “अमलेश सोनकर का मचान”
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और मचान बन गया
*** और मचान बन गया *** मैने खेत में एक मचान बनवाने की सोची थी, पर फिर इरादा बदल कर घर की चारदीवारी से सटा मचान बनवाने का निर्णय लिया। उस मचान से खेत, उसके आगे रेलवे स्टेशन का लेवल क्रॉसिंग का इलाका और गांव नजर आते। इस बारे में कल एक पोस्ट एक्स औरContinue reading “और मचान बन गया”
स्वमित्र, दांत के डाक्टर
मेरे नीचे के इनसाइसर (काटने वाले दांत, कृन्तक) काले पड़ रहे थे। उनकी जड़ें ठीक थीं। ठंडा गरम भी इतना नहीं लगता था कि उसके उपचार की एमरजेंसी हो। पर काले दांत ऐसा आभास देते थे कि व्यक्ति तमाकू-सुरती-पानमसाला ज्यादा ही खाता है। जबकि मैं पान-सुरती खाता ही नहीं। मेरी मुस्कान और हंसी उत्तरोत्तर होठContinue reading “स्वमित्र, दांत के डाक्टर”
