"खाइ भरे के पाई ग हई (खाने भर को मिल गया है)"


चार दिन पहले गंगा उफन रही थीं। बहाव तेज था और बहुत सी जलकुम्भी बह कर आ रही थी। बढ़ती गंगा में आसपास के ताल तलैयों, नहरों नालों की जलकुम्भी बह कर आने लगती है। वैसा ही था। खबरें भी थीं गंगा और उत्तर की अन्य कई नदियों में उफान की। किनारे एक धतूरे काContinue reading “"खाइ भरे के पाई ग हई (खाने भर को मिल गया है)"”

शैलेश की रिपोर्ट – रुद्रप्रयाग और श्रीनगर के बीच से


जून 27’2013: सवेरे शैलेश ने ऋषिकेश का चित्र भेजा। गंगा प्रचण्ड रूप धारण किये हुये। मैने पूछा – कैसा लग रहा है गंगा का यह रूप देख कर? क्या इस मौसम में सामान्य है? नहीं। हवा में कुछ ऐसा है जो भारी कर दे रहा है। लगता है नीचे कहीं कुछ भयानक है इस दृष्यContinue reading “शैलेश की रिपोर्ट – रुद्रप्रयाग और श्रीनगर के बीच से”

कछार की पहली तेज बारिश के बाद


रात में बारिश बहुत हुई। सवेरे आसमान में बादल थे, पर पानी नहीं बरस रहा था। घूमने निकल गया। निकला जा सकता था, यद्यपि घर से गंगा घाट तक जाने कितने नर्क और अनेक वैतरणियाँ उभर आये थे रात भर में। पानी और कीचड़ से पैर बचा कर चलना था। घाट की सीढ़ियों के पासContinue reading “कछार की पहली तेज बारिश के बाद”

Design a site like this with WordPress.com
Get started