कल सुकुल कहे कि फलानी पोस्ट देखें, उसमें बिम्ब है, उपमा है, साहित्त है, नोक झोंक है। हम देखे। साहित्त जो है सो ढेर नहीं बुझाता। बुझाता तो ब्लॉग लिखते? बड़ा बड़ा साहित्त – ग्रन्थ लिखते। ढेर पैसा पीटते। पिछलग्गू बनाते!ऊ पोस्ट में गंगा के पोखरा बनाये। ई में गंगा माई! एक डेढ़ किलोमीटर कीContinue reading “बिम्ब, उपमा और न जाने क्या!?”
Category Archives: गंगा नदी
रविवार भोर ६ बजे
तख्ती पर बैठे पण्डा। जजमानों के इन्तजार में। गंगा तट पर नहाते पुरुष और स्त्रियां। पण्डा के बाईं ओर जमीन पर बैठा मुखारी करता जवाहिर लाल। गंगा बढ़ी हुई हैं। सावन में ही भदईं गंगा का अहसास! मात्र ९० डिग्री के कोण घूम कर उसी स्थान से लिया यह कोटेश्वर महादेव के मंदिर का चित्र!Continue reading “रविवार भोर ६ बजे”
ड्रीम गर्ल
पिछले दिनों हेमामालिनीजी का बंगलोर आगमन हुआ। आमन्त्रण रेलवे की महिला कल्याण समिति का था। कृष्ण की लीलाओं पर आधारित एक मन्त्रमुग्ध कर देने वाली नृत्य नाटिका प्रस्तुत की उन्होने। कुल 60 कलाकारों का विलक्षण प्रदर्शन, ऐसा लगा कि वृन्दावन उतर कर आपके सामने अठखेलियाँ कर रहा हो। मैं ठगा सा बैठा बस देखता हीContinue reading “ड्रीम गर्ल”
