चक्रधर जी ने बताया कि वे सवेरे चार बजे बिस्तर छोड़ देते हैं। नित्यकर्म के बाद एक घंटा साइकिल चलाते हैं। दो ढ़ाई किलोमीटर धीरे, काहे कि वह शहर और गलियों में होता है। उसके बाद मेन रोड पर स्पीड बढ़ जाती है। साइकिल चलाने के बाद वे पैदल चलते हैं।
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शीला मास्टरानी
गांवदेहात में दो-चार प्रतिशत लोग रमापति-शीला जैसे हों तो रोजगार की समस्या का निदान हो जाये।…शीला मास्टरानी की बातचीत में अदब, सजगता और आत्मविश्वास सब है। वह गांवदेहात में कम ही नजर आता है।
चक्रीय ताल की दिनचर्या
आगे के जीवन के बारे में नजरिया बदला लगता है। पहले जीवन की दीर्घायु के लक्ष धुंधले लगते थे; अब उनमें स्पष्टता आती जा रही है। नकारात्मकता को चिमटी से पकड़ कर बाहर निकालने की इच्छा-शक्ति प्रबल होती जा रही है।
