काली कोयल, जिसे स्त्रीलिंग का सम्बोधन भारतीय साहित्य में मिलता है, वह असल में नर कोयल है। मादा कोयल तो यह भूरी, चितकबरी पक्षी है। बेचारी! इसका उल्लेख किसी ने न किया। साहित्यकारों का ऑब्जर्वेशन और सौंदर्यबोध अजीब ही है।
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नवान्न
हम इतने प्रसन्न हो रहे हैं तो किसान जो मेहनत कर घर में नवान्न लाता होगा, उसकी खुशी का तो अंदाज लगाना कठिन है। तभी तो नये पिसान का गुलगुला-रोट-लपसी चढ़ता है देवी मैय्या को!
गा कर धन्यवाद दे गयी मैना
अचानक एक मैना आयी। अकेली। उसने मधुर गाना सुनाया, अपनी चोंच उठा कर ऊपर ताकते हुये। कुछ इस प्रकार से कि नमकीन और रोटी के लिये धन्यवाद ज्ञापन कर रही हो। अकेली मैना कुछ समय गा कर चली गयी।
