रास्ते में प्रेमसागर खपरैल के मकान और एक जगह मंदिर-मस्जिद के आमने सामने के होने के चित्र भी भेजते हैं। उनसे लगता है कि गांवदेहात का गुजरात अन्य भारत से बहुत अलग नहीं है। एक जगह कपास की खेती का चित्र भी है।
Category Archives: यात्रा
धंधुका – कांवर यात्रा में पड़ा दूसरा रेल स्टेशन
प्रेमसागर दोपहर दो-तीन बजे धंधुका रेलवे स्टेशन पर आ गये थे। वहां खाली पड़े रेलवे स्टेशन के डॉर्मेट्री वाले रेस्ट हाउस में जिसमे चार बिस्तर हैं; प्रेमसागर को जगह मिली। स्टेशन पर बिजली पानी की सुविधा है। काम लायक फर्नीचर भी है।
माँ की याद आती ही है, आंसू टपकते हैं – प्रेमसागर
जिनके लिये इतना कठिन संकल्प लिया, उनकी याद आती है? – मेरा यह प्रश्न सुन कर प्रेमसागर की आवाज बदल जाती है। लगता है कि कुछ गले में फंस रहा हो – “भईया अकेला चलता हूं तो उनका याद, माँ का याद, बना ही रहता है। …आंसू टपकने लगते हैं।
