होशंगाबाद – भोपाल से नर्मदामाई की ओर दौड़


नर्मदा और गंगा – दोनो की साड़ी पुरानी और मैली हो गयी है। बस; नर्मदा की साड़ी अभी जर्जर नहीं हुई। उसके छींट के रंग कुछ बदरंग हुये हैं पर अभी भी पहचाने जा सकते हैं। गंगाजी की धोती पुरानी और जर्जर हो गयी है। उसमें लगे पैबन्द भी फट गये हैं। गंगामाई बमुश्किल अपनी इज्जत ढ़ंक-तोप कर चल पा रही हैं। मंथर गति से। आंसू बहाती। अपनी गरिमा अपनी जर्जर पोटली में लिये। और निर्लज्ज भक्त नारा लगाते हैं – जै गंगा माई। :-(

लेंसमैन


पैण्ट कमीज, निकॉन का अच्छा कैमरा – पर्याप्त इस्तेमाल किया हुआ, मंझले आकार का और सही प्रोपोर्शन में शरीर। सिर पर पीछे एक बंधी हुई सवर्ण की शिखा उस व्यक्ति को होटल लेक-व्यू, अशोक के वातावरण से अलग कर रही थी। वह व्यक्ति बिना लोगों में हिले मिले, हम लोगों की कॉन्फ्रेन्स को देख औरContinue reading “लेंसमैन”

बनारस और मोदी


पच्चीस अप्रेल को बनारस में था मैं। एक दिन पहले बड़ी रैली थी नरेन्द्र मोदी की। उनका चुनाव पर्चा भरने का रोड शो। सुना और टेलीवीजन पर देखा था कि बनारस की सड़कें पटी पड़ी थीं। रोड शो का दृष्य अभूतपूर्व लग रहा था। इस लिये पच्चीस अप्रेल को उत्सुकता थी वहां का हाल चालContinue reading “बनारस और मोदी”

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