मॉर्निंग पोजीशन की याद


मॉर्निग पोजीशन ने रेल परिचालन की जिंदगी व्यवस्थित की थी। उसने आंकड़ों के पिजन-होल्स बनाये थे मस्तिष्क में। अब जिंदगी अलग प्रकार से चल रही है। पर मेण्टल पिजन होल्स बनाने/अपडेट करने की जरूरत मुझे महसूस हुई सवेरे उठते समय।

स्टीम इंजन युग के नागेश्वर नाथ


लगता है कि अगर संस्मरण लिखे जायें तो उनमें तथ्यों की गलती की गुंजाइश जरूर होगी पर उनको लिखने में खुद जीडी की बजाय एक काल्पनिक पात्र गढ़ कर लिखा जा सकता है। तब यह बंधन नहीं होगा कि तथ्य पूरी तरह सही नहीं हैं।

सिक्यूरिटी वाले और चेक पोस्ट


मेरे व्यक्तित्व में कुछ है जिसे किसी बैरियर पर चेक किया जाना अच्छा नहीं लगता। रेलवे का आदमी हूं और कभी न कभी टिकेट चेकर्स मेरे कर्मचारी हुआ करते थे। पर खुद मुझे टिकेट चेक कराना बहुत खराब लगता है।

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