आज सवेरे सब यथावत था। सूरज भी समय पर उगे। घूमने वाले भी थे। घाट पर गंगाजी में पानी कुछ बढ़ा हुआ था। वह भैंसासुर की अर्ध-विसर्जित प्रतिमा पानी बढ़ने के कारण पानी में लोट गई थी। किनारे पर पण्डा यथावत संकल्प करा रहे थे कार्तिक मास का। पास में सनीचरा रहता था कऊड़ा जलाये।Continue reading “घाट पर सनिचरा नहीं था”
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कार्तिक अमावस की सांझ
विल्वपत्र की टेरी तोड़ रही थीं कोटेश्वर महादेव की मालिनें। एक बकरी उनसे स्पर्धा कर रही थी विल्वपत्र और गेंदे के फूल चबाने में। पर स्पर्धा इतनी विकट नहीं थी कि बकरी पर कोई डण्डा पड़ता। हटाने पर वह एक स्थान से दूसरे पर जा कर कुछ न कुछ चबाने को पा जा रही थी।Continue reading “कार्तिक अमावस की सांझ”
लोकपाल आ गया तो इनका क्या होगा?
हिसार में कानग्रेस की जमानत जब्त होली है। चार सीटों के चुनाव में जीरो बटा सन्नाटा ही रहा है उसके लिये। टेलीवीजन पर जितना भी फौंकें, पुलपुली जरूर कांप रही होगी। ऐसे में शीतकालीन सत्र में मजबूत लोकपाल ले आये तो मेरे घर के आस पास के इनफार्मल सेक्टर का क्या होगा? रविवार को मैंContinue reading “लोकपाल आ गया तो इनका क्या होगा?”
