मध्य वर्ग की स्नॉबरी रेल के द्वितीय श्रेणी के वातानुकूलित डिब्बे में देखने के अवसर बहुत आते हैं। यह वाकया मेरी पत्नी ने बताया। पिछली बार वे अकेले दिल्ली जा रही थीं। उनके पास नीचे की बर्थ का आरक्षण था। पास में रेलवे के किसी अधिकारी की पत्नी अपने दो बच्चों के साथ यात्रा करContinue reading “रेल के डिब्बे में स्नॉबरी”
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बुर्कीना फासो से आने को आतुर धन
रोज ४०-५० धन बांटने को आतुर स्पैम आते हैं! रोज संदेश भेजता है वह मेरा अनजान मित्र। (एक ही नहीं अनेक मित्र हैं।) बैंक ऑफ अफ्रीका मेरे पास धन भेजने को आतुर है। मैं हूं, कि अपरिग्रह के सिद्धान्त से बंधा, वह संदेश पट्ट से डिलीट कर देता हूं। यह मित्र रूप बदलता है –Continue reading “बुर्कीना फासो से आने को आतुर धन”
क्या खाक मौज लेंगे? हम तो टेन्स हो गये!
कल की पोस्ट पर फुरसतिया ने देर रात टिप्पणी ठेली है। वह भी ई-मेल से। लिखा है – बाकी ज्ञानजी आप बहुत गुरू चीज हैं। लोग समझ रहे हैं कि आप हमारी तारीफ़ कर रहे हैं लेकिन सच यह है कि आप हमको ब्लागर बना रहे हैं। आपने लिखा- “इस सज्जन की ब्रिलियेन्स (आप उसेContinue reading “क्या खाक मौज लेंगे? हम तो टेन्स हो गये!”
