तमसो मां ज्योतिर्गमय: तम से ज्योति की ओर। घरसो मां जर्नीर्गमय:। घर से जर्नी (यात्रा) की ओर। मैं जर्नियोगामी हो गया हूं। बड़ी हड़हड़ाती है रेल गाड़ी। वातानुकूलित डिब्बे में न तो शोर होता है, न गर्दा। पर इस डिब्बे में जो है सो है। इतने में एयरटेल समोसा मैसेज देता है – Airtel welcomesContinue reading “घरसो मां जर्नीर्गमय:”
Category Archives: हिन्दी
मंगल और तिलंगी
मैने उसका नाम नहीं पूछा। “हटु रे” वाली पोस्ट पर लोग लजा रहे थे टिपेरते, पर कृष्ण मोहन ने उस पात्र को सही चीन्हा – रागदरबारी का मंगलदास उर्फ सनीचरा। नया दिया नाम – सतीश पंचम जी का; “जियालाल” भी उत्तमोत्तम है! मंगल महत्वपूर्ण चरित्र है रागदरबारी का। आप उस पुस्तक की सनिचरा के बगैरContinue reading “मंगल और तिलंगी”
अमृतलाल वेगड़ उवाच
पिछली टंकियाटिक पोस्ट पर समीर लाल टिपेरे: अब आप कह रहे हैं, तो ठीके कह रहे होंगे। ठीके तो कह रहे थे – हम नहीं, समीरलाल। इतनी ज्यादा पोस्टें निपटाते हैं तो सोशियो-पोलिटिकली करेक्ट टिपेरना उन्ही से सीखना चाहिये! (कोई व्यंग इण्टेण्डेड नहीं। कल उनका जन्मदिन था, बहुत बहुत बधाई!) असल में हमारे जैसा कोईContinue reading “अमृतलाल वेगड़ उवाच”
