श्रीमती रीता पाण्डेय की एक पोस्ट


कुछ दिनों पहले मैने एक पोस्ट लिखी थी – स्वार्थ लोक के नागरिक। उस पर श्री समीर लाल की टिप्पणी थी: …याद है मुझे नैनी की भीषण रेल दुर्घटना. हमारे पड़ोसू परिवार के सज्जन भी उसी से आ रहे थे. सैकड़ों लोग मर गये मगर उनके बचने की खुशी में मोहल्ले में मिठाई बांटी गई…क्याContinue reading “श्रीमती रीता पाण्डेय की एक पोस्ट”

कितना आसान है कविता लिखना?


कितने सारे लोग कविता ठेलते हैं। ब्लॉग के सफे पर  सरका देते हैं असम्बद्ध पंक्तियां। मेरा भी मन होता है; जमा दूं पंक्तियां – वैसे ही जैसे जमाती हैं मेरी पत्नी दही। जामन के रूप में ले कर प्रियंकर जी के ब्लॉग से कुछ शब्द और अपने कुछ असंबद्ध शब्द/वाक्य का दूध। क्या ऐसे हीContinue reading “कितना आसान है कविता लिखना?”

असीम प्रसन्नता और गहन विषाद


इलाहाबाद से चलते समय मेरी पत्नीजी ने हिदायत दी थी कि प्रियंकर जी, बालकिशन और शिवकुमार मिश्र से अवश्य मिल कर आना। ऑफकोर्स, सौ रुपये की बोतल का पानी न पीना। लिहाजा, शिवकुमार मिश्र के दफ्तर में हम सभी मिल पाये। शिव मेरे विभागीय सम्मेलन कक्ष से मुझे अपने दफ्तर ले गये। वहां बालकिशन आयेContinue reading “असीम प्रसन्नता और गहन विषाद”

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