मेरी रेलवे की यादों को कुरेदती फिल्म भुवन शोम


मैं अपने तनाव, शरीर और मन की उपेक्षा और रोज रोज की चिख चिख से अपने को असम्पृक्त नहीं कर सका। अगर वह सीख लेता – और उसके प्रति सचेत रहता – तो आज कहीं बेहतर शारीरिक/मानसिक दशा में होता।

एक शाम, न्यूरोलॉजिस्ट के साथ


तय हुआ था कि मैं न्यूरोसर्जन से छ बजे मिलूंगा और उन्हे ले कर अपने घर जाऊंगा अपनी अम्मा जी को दिखवाने। सवा छ बज रहे थे। मैं 15 मिनट से बाहर बैठा प्रतीक्षा कर रहा था कि डा. प्रकाश खेतान अपना कार्य खत्म कर उपलब्ध होंगे मेरे साथ चलने को। पर वहां बहुत सेContinue reading “एक शाम, न्यूरोलॉजिस्ट के साथ”

डा. प्रकाश खेतान, न्यूरोसर्जन


मेरी अम्माजी अस्पताल में हैं। उनकी कूल्हे की हड्डी टूटने के कारण उनका ऑपरेशन हुआ है। चुंकि वे दशकों से खून पतला करने के लिये नियमित दवाई लेती रही हैं; ऑपरेशन के पहले उनकी यह दवा रोक कर उनके रक्त का प्रोथ्रोम्बाइन टाइम ऑपरेशन के लिये वांछित स्तर पर लाया गया। इसके लिये दवा लगभग एकContinue reading “डा. प्रकाश खेतान, न्यूरोसर्जन”

एपिलेप्सी-रोधी दवाओं के साथ वापसी


काफी समय पहले मैने वैतरणी नाले के पानी से कछार में खेती करते श्री अर्जुन प्रसाद पटेल की मड़ई और उनके क्रियाकलाप पर लिखा था। मैं उनकी मेहनत से काफी प्रभावित था। कल पुन: उनकी मड़ई का दूर से अवलोकन किया। उस नाले में पर्याप्त सूअर घूमते हैं। अत: उनकी क्यारियों की सब्जी में न्यूरोसिस्टिसर्कोसिसContinue reading “एपिलेप्सी-रोधी दवाओं के साथ वापसी”

श्रीमती रीता पाण्डेय की एक पोस्ट


कुछ दिनों पहले मैने एक पोस्ट लिखी थी – स्वार्थ लोक के नागरिक। उस पर श्री समीर लाल की टिप्पणी थी: …याद है मुझे नैनी की भीषण रेल दुर्घटना. हमारे पड़ोसू परिवार के सज्जन भी उसी से आ रहे थे. सैकड़ों लोग मर गये मगर उनके बचने की खुशी में मोहल्ले में मिठाई बांटी गई…क्याContinue reading “श्रीमती रीता पाण्डेय की एक पोस्ट”

अलवा-पलवा लेखन – ब्रेन इंजरी – मां सरस्वती का विधान


मेरी पत्नी मेरे हिन्दी ब्लॉग लेखन को अपने भदोहिया-बनारसी अन्दाज में अलवा–पलवा लेखन कहती हैं. अलवा-पलवा लेखन माने अण्ट-शण्ट/निठल्ला/यूंही/ उल्टे-सीधे बल्ले (या फिर हॉकी स्टिक से, और वह भी न मिले तो कपड़ा कचारने वाले पिटना) से बैटिंग नुमा लेखन ….मित्रों, यह अलवा-पलवा लेखन मेरे काम आ गया ब्रेन इंजरी रिसोर्स सेंटर से कंटेण्ट प्रयोगContinue reading “अलवा-पलवा लेखन – ब्रेन इंजरी – मां सरस्वती का विधान”