आलोक 9-2-11 के पोस्ट के हेडिंग और विषयवस्तु बड़े सिर खुजाऊ होते हैं। और जब तक आप समझ पायें, वे नौ-दो-ग्यारह हो जाते हैं। पहले वे बोले कि उनके चिठ्ठे का एचटीएमएल अवैध है। फिर वे इतराये कि वे शुद्ध हो गये हैं। पर लोगों की टिप्पणियों का ब्लॉग पर संसर्ग उनके ब्लॉग के गुणसूत्रContinue reading “एचटीएमएल की रेल-पटरी और नौ-दो-ग्यारह!”
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सुखी जीवन के सूत्र की सिनर्जी
परसों मेरी पोस्ट के पुछल्ले से एक जबरदस्त सिनर्जेटिक (Synergetic – combined synchronous and energetic) काम हुआ। मैने एक पॉवर प्वाइण्ट शो पोस्ट पर प्रस्तुत किया और उसे रवि रतलामी जी ने वीडियो कन्वर्टर के माध्यम से वीडियो बना कर आनन-फानन में पोस्ट की शक्ल दे दी। मैंContinue reading “सुखी जीवन के सूत्र की सिनर्जी”
गधा और ऊँट – च्वाइस इज़ योर्स
गर्दभ अहो रूपम – अहो ध्वनि! (यह मेरी 25 फरवरी 2007 की एक शुरुआती पोस्ट का लिंक है।) आप रूप का बखान करें या ध्वनि का। विकल्प आपके पास है। इतना समय हो गया, पाठक जस के तस हैं हिन्दी ब्लॉगरी के। वही जो एक दूसरे को रूपम! ध्वनि!! करते रहते हैं। महाजाल वाले सुरेशContinue reading “गधा और ऊँट – च्वाइस इज़ योर्स”
