बहुत बार पढ़ा है कि हारने के बाद पोरस को सिकन्दर के सामने जंजीरों में जकड़ कर प्रस्तुत किया गया। उस समय सिकन्दर ने प्रश्न किया कि तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार किया जाये? और पोरस ने निर्भीकता से उत्तर दिया – “वैसा ही, जैसा एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है।” यह नेतृत्व कीContinue reading “पोरस का राजोचित आत्मविश्वास”
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गरीबों की पीठ पर विज्ञापन कभी नहीं आयेंगे – घोस्ट बस्टर
घोस्ट बस्टर बड़े शार्प इण्टेलिजेंस वाले हैं। गूगल साड़ी वाली पोस्ट पर सटीक कमेण्ट करते हैं – हम तो इस साड़ी के डिजाइनर को उसकी रचनात्मकता के लिए बधाई देंगे और आपको इस बढ़िया चित्र के लिए धन्यवाद…. निश्चिंत रहिये, गरीबों की पीठ पर विज्ञापन कभी नहीं आयेंगे. दर्शकों को मूर्ख समझे, बाजार इतना मूर्खContinue reading “गरीबों की पीठ पर विज्ञापन कभी नहीं आयेंगे – घोस्ट बस्टर”
वह दौड़
नाइटिंगेल नाइटटिंगेल कॉनेण्ट के ई-मेल से मिलने वाले सन्देशों का मैं सबस्क्राइबर हूं। कुछ दिन पहले “द रेस” नामक एक कविता का फिल्मांकन उन्हों ने ई-मेल किया। आप यह फिल्मांकन देख सकते हैं। यह श्री डी ग्रोबर्ग की कविता है जो मैने नेट पर खोजी। फिर उसका अनुवाद किया। कविता बहुत सशक्त है और अनुवादContinue reading “वह दौड़”
