लगता है मछलियां बहुत ले आई हैं गंगाजी। श्री अरविन्द मिश्र जी की माने तो टिलेपिया मछली। मछेरे बहुत गतिविधि कर रहे थे परसों शाम उथले पानी में। और कल सवेरे सवेरे ढेरों पक्षी दिखे। गंगा किनारे रहने वाले सफेद बगुले तो वही इक्का-दुक्का थे। पर कुछ सफेद सारस और ढेरों काले बगुले जाने कहांContinue reading “काले बगुले?”
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एक वृद्ध का ब्लॉग?
सुन्दरलाल बहुगुणा कहते हैं कि उनकी जिन्दगी के दौरान ही गंगा में पानी आधा हो गया। अखबार में उनकी फोटो में सन जैसे सफेद दाढ़ी मूछों वाला आदमी है। मैं बहुगुणा को चीन्हता हूं। पर वे अब बहुत बूढ़े लगते हैं चित्र में। वे चिपको अन्दोलन के चक्कर में अखबार में आते थे। और मैंContinue reading “एक वृद्ध का ब्लॉग?”
मंगल और तिलंगी
मैने उसका नाम नहीं पूछा। “हटु रे” वाली पोस्ट पर लोग लजा रहे थे टिपेरते, पर कृष्ण मोहन ने उस पात्र को सही चीन्हा – रागदरबारी का मंगलदास उर्फ सनीचरा। नया दिया नाम – सतीश पंचम जी का; “जियालाल” भी उत्तमोत्तम है! मंगल महत्वपूर्ण चरित्र है रागदरबारी का। आप उस पुस्तक की सनिचरा के बगैरContinue reading “मंगल और तिलंगी”
