पानी के पुराने प्रबन्धन के तरीके विलुप्त होते जा रहे हैं। नये तरीकों में जल और जीवों के प्रति प्रेम कम; पैसा कमाने की प्रवृत्ति ज्यादा है। प्रकृति के यह स्रोत जैसे जैसे विरल होते जायेंगे, वैसे वैसे उनका व्यवसायीकरण बढ़ता जायेगा। आज पानी के साथ है; कल हवा के साथ होगा। और जल परContinue reading “पानी की सुराही बनाम पानी का माफिया”
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मिट्टी का चूल्हा
मेरे पड़ोस में यादव जी रहते हैं। सरल और मेहनतकश परिवार। घर का हर जीव जानता है कि काम मेहनत से चलता है। सवेरे सवेरे सब भोजन कर काम पर निकल जाते हैं। कोई नौकरी पर, कोई टेम्पो पर, कोई दुकान पर। यादव जी का चूल्हा और उपले की टोकरी अपनी छत पर जब हमContinue reading “मिट्टी का चूल्हा”
जल का क्लोरीनेशन और अन्य समस्याओं पर विचार
पिछली बुधवासरीय अतिथि पोस्ट में श्री पंकज अवधिया ने भूमिगत जल और उसके प्रदूषण पर विस्तृत जानकारी दी थी। आज के उनके इस लेख में भी जल पर और कोणों से चर्चा है। विशेषत: उन्होने क्लोरीनेशन के विषय में आम अल्पज्ञता के बारे में प्रकाश डाला है। उनके पुराने लेख आप पंकज अवधिया के लेबलContinue reading “जल का क्लोरीनेशन और अन्य समस्याओं पर विचार”
