वे चार बच्चे थे। गंगाजी जब बरसात के बाद सिमटीं तो छोटे छोटे उथले गढ्ढे बनने लग गये पानी के। उनमें हैं छोटी छोटी मछलियां। पानी इतना कम और इतना छिछला है कि हाथों से मछलियां पकड़ी जा सकती हैं। वे चारों हाथ से मछली पकड़ रहे थे। पकड़ना उनके लिये खेल भी था। एकContinue reading “हाथों से मछली बीनते बच्चे”
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लोकपाल आ गया तो इनका क्या होगा?
हिसार में कानग्रेस की जमानत जब्त होली है। चार सीटों के चुनाव में जीरो बटा सन्नाटा ही रहा है उसके लिये। टेलीवीजन पर जितना भी फौंकें, पुलपुली जरूर कांप रही होगी। ऐसे में शीतकालीन सत्र में मजबूत लोकपाल ले आये तो मेरे घर के आस पास के इनफार्मल सेक्टर का क्या होगा? रविवार को मैंContinue reading “लोकपाल आ गया तो इनका क्या होगा?”
कुम्हार और मिट्टी के दीये
मेरे दफ्तर जाने के रास्ते में तेलियरगंज के बाद चार पांच घर कुम्हारों के हैं। बरसात के महीनों में उनकी गतिविधियां ठप सी थीं। अब देखता हूं कि बहुत व्यस्त हो गये हैं वे। तन्दूर, गुल्लक, मटके आदि बनाने का काम तो सतत चलता है, पर इस समय दीपावली आने वाली है, सो दिये बनानेContinue reading “कुम्हार और मिट्टी के दीये”
