उन महिला को तीन दिन से शाम के समय देख रहा हूं, गंगा तट पर दीपक जला पूजा करते। कल ध्यान से सुना। कोई श्लोक-मन्त्र जाप नहीं कर रही थीं। अपनी देशज भाषा में हाथ जोड़ गंगा माई – देवी माई की गुहार कर रही थीं। काफी देर चली पूजा। उनके हटने पर मैं औरContinue reading “नौ दिन का अनुष्ठान”
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श्राद्धपक्ष का अन्तिम दिन
सवेरे का सूरज बहुत साफ और लालिमायुक्त था। एक कालजयी कविता के मानिन्द। किनारे पर श्राद्धपक्ष के अन्तिम दिन की गहमा गहमी। एक व्यक्ति नंगे बदन जमीन पर; सामने एक पत्तल पर ढेर से आटे के पिण्ड, कुशा और अन्य सामग्री ले कर बैठा; पिण्डदान कर रहा था पण्डाजी के निर्देशन में। थोड़ी दूर नाईContinue reading “श्राद्धपक्ष का अन्तिम दिन”
कछार पर कब्जा
भाद्रपद बीत गया। कुआर के शुरू में बारिश झमाझम हो रही है। अषाढ़-सावन-भादौं की कमी को पूरा कर रहे हैं बादल। पर गंगामाई कभी उतरती हैं, कभी चढ़ती हैं। कभी टापू दीखने लगते हैं, कभी जलमग्न हो जाते हैं। दिवाली के बाद कछार में सब्जी की खेती करने वाले तैयारी करने लगे हैं। पहले कदमContinue reading “कछार पर कब्जा”
