गौतम शंकर बैनर्जी


उस दिन शिव कुमार मिश्र ने आश्विन सांघी की एक पुस्तक के बारे में लिखा, जिसमें इतिहास और रोमांच का जबरदस्त वितान है। सांघी पेशेवर लेखक नहीं, व्यवसायी हैं। कुछ दिन पहले राजीव ओझा ने आई-नेक्स्ट में हिन्दी ब्लॉगर्स के बारे में लिखा जो पेशेवर लेखक नहीं हैं – कोई कम्प्यूटर विशेषज्ञ है, कोई विद्युतContinue reading “गौतम शंकर बैनर्जी”

बिम्ब, उपमा और न जाने क्या!?


कल सुकुल कहे कि फलानी पोस्ट देखें, उसमें बिम्ब है, उपमा है, साहित्त है, नोक झोंक है। हम देखे। साहित्त जो है सो ढेर नहीं बुझाता। बुझाता तो ब्लॉग लिखते? बड़ा बड़ा साहित्त – ग्रन्थ लिखते। ढेर पैसा पीटते। पिछलग्गू बनाते!ऊ पोस्ट में गंगा के पोखरा बनाये। ई में गंगा माई! एक डेढ़ किलोमीटर कीContinue reading “बिम्ब, उपमा और न जाने क्या!?”

बिल्लियाँ


आरोपों के काल में कुत्ते बिल्लियों के ऊपर लिखे गये ब्लॉग हेय दृष्टि से देखे गये थे। इसलिये जब बिटिया ने बिल्ली पालने के लिये हठ किया तो उसको समझाया कि गाय, कुत्ते, बिल्ली यदि हिन्दी ब्लॉग में हेय दृष्टि से देखे जाते हैं तो उनको घर में लाने से मेरी भी हिन्दी ब्लॉगिंग प्रतिभाContinue reading “बिल्लियाँ”

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