खजूरी, खड़ंजा, झिंगुरा और दद्दू


शुरू से शुरू करता हूं। मिर्जापुर रेस्ट हाउस से जाना था मुझे झिंगुरा स्टेशन। मिर्जापुर से सीधे रास्ता है नेशनल हाई-वे के माध्यम से – ऐसा मुझे बताया गया। पर यह भी बताया गया कि वह रास्ता बन्द है। अत: डी-टूर हो कर जाना होगा वाया बरकछा। सवेरे मैने विण्ढ़म फॉल देखा था। यह नहींContinue reading “खजूरी, खड़ंजा, झिंगुरा और दद्दू”

कुर्सियाँ बुनने वाला


मेरे दफ्तर में कॉरीडोर में बैठा मोनू आज कुर्सियाँ बुन रहा है। पुरानी प्लास्टिक के तार की बुनी कुर्सियों की फिर से बुनाई कर रहा है। बताता है कि एक कुर्सी बुनने में दो घण्टे लगते हैं। एक घण्टे में सीट की बुनाई और एक घण्टे में बैक की। दिन भर में तीन से चारContinue reading “कुर्सियाँ बुनने वाला”

मितावली स्टेशन के जीव


मितावली टुण्डला से अगला स्टेशन है दिल्ली की ओर। यद्यपि यहां से तीन दिशाओं में ट्रेने जाती हैं – दिल्ली, कानपुर और आगरा की ओर, पर तकनीकी रूप से इसे जंक्शन नहीं कहा जा सकता – आगरा की ओर यहां से केवल मालगाड़ियां जाती हैं। छोटा स्टेशन है यह – रेलवे की भाषा में रोडContinue reading “मितावली स्टेशन के जीव”

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