"पश्मिन् शॉल वाले”–फेरीवाले


सही मौसम है शॉल की फेरीवालों का। गोरखपुर में तिब्बत बाजार और कलकत्ता बाजार में सामान मिलता है सर्दियों के लिये। स्वेटर, जैकेट, गाउन, शॉल आदि। नेपाली या तिब्बती अपने मोन्गोलॉइड चेहरों का ट्रेडमार्क लिये फ़ेरी लगा कर भी बेचते हैं गर्म कपड़े। आज मैने रिक्शा पर कश्मीरी जवान लोगों को भी शॉल बेचते देखा।Continue reading “"पश्मिन् शॉल वाले”–फेरीवाले”

“मेरा कौन पढ़ेगा” : गौरव श्रीवास्तव से मुलाकात


गौरव श्रीवास्तव पढ़ाकू जीव हैं। मोतीलाल नेहरू टेक्नॉलॉजी संस्थान के डॉक्टरेट के रिसर्च स्कॉलर। संकोची व्यक्ति। वे इस ब्लॉग के नियमित पाठक हैं। यहीं पास में उनका कार्य क्षेत्र है – मेरे घर से डेढ़ किलोमीटर दूर। पर मुझसे कभी मिले नहीं। जब उन्हे पता चला कि मैं यहां से गोरखपुर स्थानान्तरण पर जा रहाContinue reading ““मेरा कौन पढ़ेगा” : गौरव श्रीवास्तव से मुलाकात”

मेरे भाई लोग


आज सवेरे अचानक मेरे तीन भाई (मेरी पत्नी जी के भाई) घर पर आये। वे लोग भदोही से लखनऊ जा रहे थे। रास्ते में यहां पड़ाव पर एक घण्टा रुक गये। इनमें से सबसे बड़े धीरेन्द्र कुमार दुबे बेंगळूरु में प्रबन्धन की एक संस्था से जुड़े हैं। उनसे छोटे शैलेन्द्र दुबे प्रधान हैं। पिछला विधानसभाContinue reading “मेरे भाई लोग”

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