गंगा तट की सीढ़ियों का अतिक्रमण हट गया। इस काम में कई लोग लगे थे, पर हमारी ओर से लगे थे श्री विनोद शुक्ल। पुलीस वालों से और स्थानीय लोगों से सम्पर्क करना, उनको इकठ्ठा करना, समय पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में सहायक बनना – यह उन्होने किया। मैने विनोद शुक्ल को धन्यवाद दिया।Continue reading “अतिक्रमण हटा; फिर?”
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गंगा किनारे की रह चह
घर से बाहर निकलते ही उष्ट्रराज पांड़े मिल गये। हनुमान मन्दिर के संहजन की पत्तियां खा रहे थे। उनका फोटो लेते समय एक राह चलते ने नसीहत दी – जरा संभल कर। ऊंट बिगड़ता है तो सीधे गरदन पकड़ता है। बाद में यही उष्ट्रराज गंगाजी की धारा पैदल चल कर पार करते दीखे। बड़ी तेजीContinue reading “गंगा किनारे की रह चह”
प्रवीण – जुते हुये बैल से रूपान्तरण
पिछली पोस्ट पर प्रशान्त प्रियदर्शी और अन्तर सोहिल ने प्रवीण पाण्डेय की प्रतिक्रिया की अपेक्षा की थी। प्रवीण का पत्र मेरी पत्नीजी के नाम संलग्न है: आदरणीया भाभीजी, पहले आपके प्रश्न का उत्तर और उसके बाद ही ट्रैफिक सर्विस की टीस व्यक्त करूँगा। 8 वर्ष के परिचालन प्रबन्धक के कार्यकाल में मेरी स्थिति, श्रीमती जीContinue reading “प्रवीण – जुते हुये बैल से रूपान्तरण”
