फरवरी 2009 में एक पोस्ट थी, नया कुकुर । भरतलाल एक पिल्ले को गांव से लाया था और पुराने गोलू की कमी भरने को पाल लिया था हमने। उसका भी नाम हमने रखा गोलू – गोलू पांड़े। उसके बाद वह बहुत हिला मिला नहीं घर के वातावरण में। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की कबीर उसने आत्मसातContinue reading “नया कुकुर : री-विजिट”
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निरक्षरता का मूल क्या है?
रामपुर (छद्म नाम) के सैंतालीस प्रतिशत लोग काम के हिसाब से अनपढ़ हैं। प्रौढ़ शिक्षा एवम बेसिक कर्मठता योजना अधिकारी की एक रिपोर्ट में रामपुर के बारे में चौंकाने वाली रिपोर्ट बनाई है। इसके अनुसार लगभग आधे नागरिक अखबार नहीं पढ़ सकते, नौकरी आदि के फार्म नहीं भर सकते अथवा दवा की बोतलों पर लिखेContinue reading “निरक्षरता का मूल क्या है?”
बाल पण्डितों का श्रम
शिवकुटी में गंगा तीर पर सिसोदिया की एक पुरानी कोठी है। उसमें चलता है एक संस्कृत विद्यालय। छोटे-बड़े सब तरह के बालक सिर घुटा कर लम्बी और मोटी शिखा रखे दीखते हैं वहां। यहां के सेमी-अर्बन/कस्बाई माहौल से कुछ अलग विशिष्टता लिये। उनके विद्यालय से लगभग 100 मीटर दूर हनूमान जी के मन्दिर के पासContinue reading “बाल पण्डितों का श्रम”
