बदलते समय में संत लाल


संतलाल दुकान पर बैठते हैं, ग्राहक से बोलते, बतियाते और डील करते हैं। उस हिसाब से वे ‘चलन’ में हैं। पर आगे हर मशीन, हर गैजेट में एआई घुस जायेगा। तकनीकी के प्रति निस्पृहता कितनी और कैसे कायम रख कर प्रासंगिक बने रहेंगे?

शूट पहले, एडिट बाद में


उस मैले कुचैले, विक्षिप्त से लगते आदमी का चित्र लेते समय मैं रोशनी की दशा, फोकस, रूल ऑफ थर्ड … किसी पर ध्यान नहीं देता। ध्यान केवल चित्र शूटने पर रहता है। Shoot first, Edit later. शूटो पहले, एडिटो बाद में।

विजय कुमार मिस्त्री – नायाब ब्लॉग चरित्र!


“ऐसे तुरत फुरत में थोड़े ही बता सकता हूं। आपको चार पांच दिन बैठना होगा सुनने के लिये। परिवार पालने के लिये अस्सी रुपया महीने में रिक्शा चला चुका हूं। कर्जा पाटने के लिये एक समय था जब गांजा भी बेचा है।”

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