दीनानाथ की मेहरारू


घर गांव में उनसे उम्रदराज लोग जा चुके। अब वे ही हैं। ऐसा कहने में उनके स्वर में बहुत दुख का भाव नहीं आया। यूं बताया कि वह एक सत्य का वर्णन हो। जीवन की गति और नश्वरता सम्भवत उन्होने स्वीकार कर ली है।

जैप्रकाश – नरम गरम काम मिल ही जाता है।


काम करने वाले को रोज काम मिल रहा है। अब कोई जांगरचोर हो तो काम अपने से उसके पास तो आयेगा नहीं। गांव में भी काम मिलता है और बनारस में भी।

बहनोई, खबर सगरों दौड़ाइ दिहे!


ढूंढ़ी खांटी समाजवादी हैं। पर अब मध्यप्रदेश में भाजपा ने ने एक यादव को मुख्यमंत्री बना कर सेंधमारी की है; उससे उनका मन कुछ भाजपाई हुआ हो शायद। छोटी से मुलाकात में वह पूछ नहीं पाया। फिर कभी पूछूंगा!

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