जैतूना से बदामा खातून – मनिहारिन की पीढ़ियाँ


नूरेशां और बदामा – दोनो में कई समानतायें हैं। दोनो महिलाओं के सामान का सेगमेण्ट डील करती हैं। दोनो महिलायें हैं तो उनसे महिलायें सहजता से बातचीत करती हैं।

कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और मुनीबाबा की पूजा


किशोर वय की लड़कियां थीं। वे यह पूजा-अनुष्ठान किस लिये करती होंगी? हर व्यक्ति कोई न कोई ध्येय गंगा स्नान और पूजा से जोड़ता है। उनके सामने क्या ध्येय होगा?

गुक्खल


“अपनी माँ को उठा कर गिरनार की 10099 सीढ़ियाँ चढ़ कर जूनागढ़ में हो आया हूं। माँ को सुदामापुरी द्वारका, बेट द्वारका आदि दिखा लाया था।” – गुक्खल अपनी यात्राओं के बारे में बताते हैं।

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