आजकल गेंहू की राशन में उपलब्धता की मारामारी है। ज्यादातर लोगों को चावल ही मिल रहा है फ्री वाले राशन में। अगर सरकार गेंहू रिलीज भी कर रही है राशन में तो उसे कोटेदार लोग बाजार में बेंच कर उसके बदले चावल ही दे रहे हैं जनता को।
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बवासीर का गांव का इलाज
“पसियान का फलाने है, वह कमर में बांधने को एक तावीज देता है। वह बहुत कारगर है। … पुरानी हो जाये तो एक और तावीज ले आता हूं। वही तावीज बांध रखी है। तब से बवासीर तकलीफ नहीं दे रही।”
आते रहा करो चच्चा!
त्रिपाठी जी ने कहा – “आपने अपने लेख में लिखा था कि अगली बार साइकिल से आयेंगे। आप साइकिल से आये होते तो और अच्छा लगता चच्चा! बाकी, आप आते रहा करें। आपका आना अच्छा लगता है और हम भी कुछ नया सीख सकते हैं।”
पूस, पुआल और पराली और आबो हवा पर फुटकर विचार
जिसे देखो, वही खांस रहा है। पूरा भारत अभिशप्त है। कोई आश्चर्य नहीं कि एनवायरमेण्टल परफार्मेंस इण्डेक्स में भारत देश दुनिया के सभी 180 देशों में फिसड्डी है – एक सौ अस्सीवें स्थान पर है। कोई मीडिया वाला इसकी बात नहीं करता!
आयुष – कस्बे के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में
भाजपा सरकार आयुर्वेद के लिये प्रयास कर रही है। … पर यह भी है कि प्रयास सरकारी भर है। जो सुविधायें विकसित की गयी हैं, उनका पूरा दोहन नहीं हो रहा।
शाम को देखने के लिये एक कोना तलाशो!
डेनमार्क के लोग Hygge – ह्यूगा की बात करते हैं प्रसन्नता के संदर्भ में। डेनमार्क दुनियाँ के प्रसन्नतम देशों में है। सर्दी का मौसम, गांवदेहात की यह जिंदगी, यह भी एक प्रकार का Hygge ही तो है!