लोग मार्जिनल काश्तकार है। इस दशा में दूध का काम बेहतर विकल्प है। लोगों को गेंहू, चावल की मोनो कल्चर से इतर सब्जी लगानी चाहियें, दूध उत्पादन पर जोर देना चाहिये। उसके लिये जरूरी है मार्केट।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून को छोड़ने के बाद गांव की पगडंडी पर साइकिल से चलने में कठिनाई नहीं हुई। 😊
लोग मार्जिनल काश्तकार है। इस दशा में दूध का काम बेहतर विकल्प है। लोगों को गेंहू, चावल की मोनो कल्चर से इतर सब्जी लगानी चाहियें, दूध उत्पादन पर जोर देना चाहिये। उसके लिये जरूरी है मार्केट।