“इहै तो गलत करत रहे। अमूल का तो कभी न लेना चाहिये। वह तो खूब घोल कर दूध में से ताकत खींच लेता है। बचा दूध जो देता है, उसमें कौन सेहत बनेगी?” – मंगत जी ने वह ज्ञान मुझे दिया जो अमूमन गांवदेहात में चल जाता है।
Tag Archives: amul dairy
दैनिक दूध के विकल्प की तलाश
दैनिक जरूरतें हैं – आटा, दाल, चावल, सब्जी, दूध। जब इनकी कीमतें बढ़ती हैं तो उनको सस्ता पाने के विकल्प तलाशने में लग जाते हैं हम। यह पोस्ट उसी कवायद पर है।
दूध एसोसियेशन आई, बाल्टा वाले गये
सवेरे साइकिल सैर के दौरान मुझे आठ दस बाल्टा वाले दिखते थे। घर घर जा कर दूध खरीदते, बेंचते। बचा दूध ले कर अपनी मोटर साइकिल में बाल्टे लटका कर बनारस दे आते थे। उनकी संख्या कम होती गयी। अब तो कोई दिखता ही नहीं। यह बड़ा परिवर्तन है।
आनंदा डेयरी के चंदन ठाकुर
गोपालजी डेयरी (कालांतर में गोपालजी-आनंदा) ने उत्तर भारत/उत्तर प्रदेश में बहुत विस्तार किया। चंदन ठाकुर का कहना है कि इस डेयरी के मुखिया राधेश्याम दीक्षित बहुत डायनमिक व्यक्ति हैं। कम्पनी के दुग्ध उत्पादों की बड़ी रेंज है। आनंदा के व्यवसायिक क्षेत्र विस्तार की भी बहुत योजनायें हैं।
अमूल कोऑपरेटिव का कलेक्शन सेण्टर
लोग मार्जिनल काश्तकार है। इस दशा में दूध का काम बेहतर विकल्प है। लोगों को गेंहू, चावल की मोनो कल्चर से इतर सब्जी लगानी चाहियें, दूध उत्पादन पर जोर देना चाहिये। उसके लिये जरूरी है मार्केट।