पुरा-वनस्पति शास्त्री डा. अनिल पोखरिया जी


डा. अनिल से बातचीत में ही पता चला कि अरहर की दाल गांगेय प्रदेश में पहले नहीं मिलती। ओडिसा से सम्भवत यहां आयी। इसी प्रकार कटहल दक्षिण भारत से उत्तर के गांगेय और सरयूपार इलाकों में आया।

संसाधनों की कमी से जूझते अगियाबीर के पुरातत्वविद


खुदाई अगर साधनों की कमी के कारण टलती रही तो बहुत देर नहीं लगेगी – बड़ी तेजी से खनन माफिया टीले की मिट्टी के साथ साथ सिंधु घाटी के समान्तर और समकालीन नगरीय सभ्यता मिलने की सम्भावनायें नष्ट कर जायेगा।

अगियाबीर की आर्कियॉलॉजिकल साइट के बबूल की छाँव


“हम लोगों के यहां आने के बाद ही एक चिड़िया दम्पति ने इस बबूल के पेड़ पर अपना घोंसला भी बनाया है। अंडे भी दिये हैं घोंसले में। उनके चूजे निकलने का समय भी आ गया है।”

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