लॉकडाउन 3.0 में #गांवदेहात का माहौल


अब बशीर बद्र की पंक्तियाँ, संशोधन कर, गांव के लिये भी लागू हो रही हैं – कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से। ये कोरोना काल का गांव है; ज़रा फ़ासले से मिला करो।

सुग्गी के मास्क #ग्रामचरित


मेहनती है सुग्गी। घर का काम करती है। खेती किसानी भी ज्यादातर वही देखती है। क्या बोना है, क्या खाद देना है, कटाई के लिये किस किस से सहायता लेनी है, खलिहान में कैसे कैसे काम सफराना है और आधा आधा कैसे बांटना है – यह सब सुग्गी तय करती है।

गांवदेहात में नजदीक आता कोरोनावायरस और बढ़ता तनाव


कोरोना फैलाव से तनाव बढ़ रहा है तो वह जातिगत सम्बंधों में दिखने लगा है। जाति समीकरण भंगुर प्रतीत होते हैं। मनरेगा में भी एक जाति वाले दूसरी जातियों से सोशल डिस्टेंस बना कर काम कर रहे हैं।

Design a site like this with WordPress.com
Get started