कल प्रेमसागर नर्मदा के उस स्थान पर स्नान कर आये जहां मध्यप्रदेश, महाराष्ट और गुजरात की सीमायें मिलती हैं। ट्रिपल स्टेट बॉर्डर। नर्मदा किनारे पहाड़ियां थीं। जल राशि खूब और स्वच्छ। लगभग निर्जन क्षेत्र।
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अलीराजपुर में भाग्वत कथा
आज प्रेमसागर को अलीराजपुर से आगे निकलना था। पर एसडीओ साहब उन्हें साठ किलोमीटर दूर, नर्मदा तट पर वह स्थान दिखाने ले गये हैं, जहां उत्तर तट पर मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमा मिलती है। नर्मदा के उसपार महाराष्ट्र है। अर्थात वह स्थान है जहां नर्मदा माई तीन राज्यों की सीमायें छूती हैं।
प्रेमसागर – एक और दिन अलीराजपुर में
वैसे सर्दी बढ़ रही है – उस इलाके में भी। सवेरे के उनके चित्रों में लोग गरम कपड़े लिये दिखते हैं। शायद प्रेमसागर ने तड़के निकल पड़ने में अपने वस्त्रों और सर्दी का ध्यान नहीं रखा। तभी हरारत या बुखार हुआ होगा।
स्टेटस – प्रेमसागर अलीराजपुर में
माहेश्वर से मनावर, कुक्षी और फिर अलीराजपुर। कुल 130 किलोमीटर की यात्रा उन्होने तीन दिनों में सम्पन्न की है। इन तीन दिनों का विवरण – ट्रेवलब्लॉग (Travelblog) मैं सप्ताहांत में प्रस्तुत करूंगा। अब दैनिक पोस्टें, सवेरे इग्यारह बजे, स्टेटस के रूप में होंगी।
सहस्त्रार्जुन की राजधानी माहिष्मती (माहेश्वर)
लम्बी चौड़ी योजना बनाने वाला (पढ़ें – मेरे जैसा व्यक्ति) यात्रा पर नहीं निकलता। यात्रा पर प्रेमसागर जैसा व्यक्ति निकलता है जो मन बनने पर निकल पड़ता है। सो, प्रेमसागर मन बनने के साथ ही आगे की लम्बी यात्रा पर निकल पड़ेंगे।
बडवाह से माहेश्वर
नवम्बर का महीना और नदी घाटी का इलाका; कुछ सर्दी तो हो ही गयी होगी। आसपास को देखते हुये प्रेमसागर ने बताया कि दोनो ओर उन्हें खेती नजर आती है। जंगल नहीं हैं। गांव और घर भी बहुत हैं। लोग भी दिखाई देते हैं। रास्ता वीरान नहीं है।