साठ साल का आदमी, ईंट भट्ठा मजूरी से खड़ा हुआ। अब छब्बीस लाख की जमीन का बैनामा कराने की क्षमता रखने वाला हो गया है। रामगुन में रामजी ने गुण जरूर भरे होंगे!
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
साठ साल का आदमी, ईंट भट्ठा मजूरी से खड़ा हुआ। अब छब्बीस लाख की जमीन का बैनामा कराने की क्षमता रखने वाला हो गया है। रामगुन में रामजी ने गुण जरूर भरे होंगे!