उस धनी का कहना भर था कि उस मंदिर की नीव का पत्थर मिट्टी में धसकने लगा। मंदिर एक ओर को झुकने लगा। वह झुका मंदिर एक वास्तविकता है।
मैं, ज्ञानदत्त पाण्डेय, गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही, उत्तरप्रदेश (भारत) में ग्रामीण जीवन जी रहा हूँ। मुख्य परिचालन प्रबंधक पद से रिटायर रेलवे अफसर। वैसे; ट्रेन के सैलून से गांव की पगडंडी की साइकिल पर उतरना रोचक है! 😊
उस धनी का कहना भर था कि उस मंदिर की नीव का पत्थर मिट्टी में धसकने लगा। मंदिर एक ओर को झुकने लगा। वह झुका मंदिर एक वास्तविकता है।