कई समूह इस इलाके में प्लास्टिक की डेली-यूज की सस्ती वस्तुओं को बेचने के लगे हैं। वे मोबाइल, ऑनलाइन और मोटर साइकिल तथा हाईवे जैसी सुविधाओं का सही सही दोहन कर ग्रामीण जनता को सुविधा भी दे रहे हैं और अपना पेट भी पाल रहे हैं।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
कई समूह इस इलाके में प्लास्टिक की डेली-यूज की सस्ती वस्तुओं को बेचने के लगे हैं। वे मोबाइल, ऑनलाइन और मोटर साइकिल तथा हाईवे जैसी सुविधाओं का सही सही दोहन कर ग्रामीण जनता को सुविधा भी दे रहे हैं और अपना पेट भी पाल रहे हैं।