2418 कि.मी. की कांवर पदयात्रा कर प्रेमसागर सोमनाथ पंहुचे


बाबा विश्वनाथ तो प्रेमसागर के सदा साथ हैं। यह पूरी यात्रा कोई साधारण यात्रा नहीं, उनकी संकल्प सिद्धि का साधन नहीं; अपने में तीर्थ बन गयी है।