बरसात में सुग्गी की सुबह


सुग्गी बहुत वाचाल है। कहती जाती है – “जीजी, बहुत काम है। मरने की फुर्सत नहीं है।” पर फिर भी रुक कर बातें खूब करती है। कई बार तो बातें खत्म कर जाने लगती है तब कुछ और याद आ जाने पर वापस लौट कर बताने-बतियाने लगती है।

लालजी यादव का काम कराने का मंत्र – बाभन खाये, लाला पाये


लालजी समाजवादी ब्रिगेड के बढ़े प्रभुत्व के आईकॉन हैं। उनकी तुलना मैंने ‘गणदेवता’ के श्रीहरि पाल से की; पर आज बदलते गांव का जितना सशक्त चरित्र लालजी है; उतना ताराबाबू का छिरू पाल नहीं है।

आज तो कोहरा घना है – प्रतिनिधि चित्र


आज तो मन है बिस्तर में ही चाय नाश्ता मिल जाए। उठना न पड़े। बटोही (साईकिल) को देखने का भी मन नहीं हो रहा। आज तो कोहरा घना है। यह प्रकृति की व्यक्तिगत आलोचना है! पता नहीं बिसुनाथ का क्या हाल होगा। वह तो आपने एक कमरे के घर में बाहर पुआल के बिस्तर परContinue reading “आज तो कोहरा घना है – प्रतिनिधि चित्र”

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