मैं राघवेंद्र से पूछता हूं – उनका मोबाइल नम्बर क्या है? और उत्तर मुझे ट्रिप कर देता है। “कोई मोबाइल नहीं है। जब भजन करो, ध्यान करो तो किसी न किसी का फोन आ जायेगा। फोन तो ध्यान खा जायेगा। मैंने फोन ही नहीं रखा। जितना कम सामान, उतना सुखी जीवन।”
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महादेव! प्रेम जी, कांवर पदयात्री का विश्राम लहा हनुमना वन रेस्टहाउस में
यह नहीं सोचा था कि शंकर भगवान अपने भक्त का कस जरूर निकालते हैं, पर कभी कभी उसके लिये व्यवस्था भी अनूठी कर देते हैं।
यह सब अगर महादेव भगवान प्रेरित मिरेकल माना जाये तो यह विश्वास हो जाता है कि शंकर जी से बड़ा कोई ‘कलाकार’ देव, देवाधिदेव हईये नहीं!
प्रेम कांवरिया जी आज मध्यप्रदेश में प्रवेश कर जायेंगे
शिव भक्त होते ही हाफ मैण्टल हैं। वे ही इतना जुनून भरा काम कर सकते हैं। बाकी लोग तो जोड़-बाकी, किंतु-परंतु करने में ही अटक जाते हैं। और प्रेम जी जैसों के लिये शिव जी ब्रह्मा का लिखा भी उलट देते हैं।
