“जीजा जी, शिव भक्त होते ही हाफ मैण्टल हैं। वे ही इतना जुनून भरा काम कर सकते हैं। बाकी लोग तो जोड़-बाकी, किंतु-परंतु करने में ही अटक जाते हैं। और इन जैसों के लिये शिव जी ब्रह्मा का लिखा भी उलट देते हैं। आप से प्रेम सागर पांंड़े को मिलवाया, यह भी शंकर भगवान की कारस्तानी है!” 😆
मेरे साले साहब, शैलेंद्र दुबे
3 सितम्बर 2021:
मेरे घर से चलने के बाद प्रेमसागर पाण्डेय मिर्जापुर के शास्त्री पुल के नीचे उमानाथ महादेव मंदिर में सुस्ताये और यहीं से ले कर चले पैकेट का नाश्ता किये थे। उसके बाद दिन में उन्होने मिर्जापुर में विंध्याचल माँ के मंदिर का दर्शन किया था। रात में मिर्जापुर-रींवा हाईवे पर कनीराम बाबा के आश्रम में रात्रि विश्राम किया था। आश्रम में भोजन-विश्राम का प्रबंध अच्छा था। आश्रम वालों ने उनकी पर्याप्त केयर की होगी।
कुल मिला कर दिन अच्छा बीता होगा।
4 सितम्बर 2021:
सवेरे जल्दी ही निकल लिए कनीराम आश्रम से प्रेम सागर पांड़े जी। रींवा रोड पर आगे बढ़े। एक जगह भोरसार में उन्हें एक सज्जन जयशंकर तिवारी जी ने रोका। जय शंकर उनके बारे में फेसबुक पर मेरा लिखा पढ़ रहे थे। सड़क पर ही उनका घर है। उनकी बिटिया ने बताया कि आप जिसके बारे में पढ़ रहे हैं, वे तो सामने से जा रहे हैं!
जयशंकर जी को निश्चय ही अद्भुत लगा होगा। उन्होने प्रेमसागर जी को जलपान कराया। हलुआ खिलाया। अपरिचित जगह में आत्मीयता का प्रस्फुटन! यह सोशल मीडिया का प्रताप ही कहा जायेगा।

गर्मी थी। इलाका विंध्य का पर्वतीय क्षेत्र था। वनस्पति पर्याप्त थी। हरा भरा दृश्य। प्रेम सागर जी के मोबाइल का कैमरा तो साधारण है, पर उनके चित्रों से अंदाज हो जाता है यात्रा का। वही पर्याप्त है।
रात में वे लालगंज के समीप पटेल ढाबा पर रुके। भोजन में लहसुन-प्याज की सब्जी बनी होने के कारण सब्जी की बजाय उन्होने रोटी और खीर का ऑर्डर दिया। ढाबा वालों ने कहा कि रात में पुलीस वाले आ कर परेशान करते हैं। पर उसकी बहुत फिक्र नहीं की प्रेम जी ने। थक बहुत गये थे, इसलिये मुझे कोई अपडेट भी नहीं भेजा। उनका मोबाइल भी डिस्चार्ज हो गया था।
सुधीर पाण्डेय जी ने सुझाव दिया है कि उनको एक फीचर फोन और एक पावरबैंक रखना चाहिये। हो सकता है, रास्ते में कोई चमत्कार हो और कोई सज्जन उन्हें यह उपलब्ध करा दें! 🙂
चमत्कार हो ही रहे हैं। मेरे साले साहब, शैलेंद्र दुबे कहते हैं – “जीजा जी, शिव भक्त होते ही हाफ मैण्टल हैं। वे ही इतना जुनून भरा काम कर सकते हैं। बाकी लोग तो जोड़-बाकी, किंतु-परंतु करने में ही अटक जाते हैं। और इन जैसों के लिये शिव जी ब्रह्मा का लिखा भी उलट देते हैं। आप से प्रेम सागर को मिलवाया, यह भी शंकर भगवान की कारस्तानी है! 😆 ”
5 सितम्बर 2021:
लालगंज के आगे निकल गये हैं प्रेमसागर। आठ बजे के आसपास वे बेलन बरौंधा से गुजर रहे हैं –
प्रेम सागर जी का कहना है कि आज वे मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश कर 10-15 किमी आगे बढ़ जायेंगे!
मैंने प्रेमसागर जी के बारे में अपने बंधु प्रवीण चंद्र दुबे जी को बताया। वे मध्यप्रदेश में वन विभाग के शीर्ष से रिटायर हुये अधिकारी हैं। आजकल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की किसी समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं। प्रवीण जी ने प्रेमसागर पाण्ड़ेय की सहायता के लिये डी.एफ.ओ. लोगों को फोन किया है। प्रेम सागर बता रहे थे कि वन विभाग के रींवा और शहडोल के अधिकारियों के फोन उनके पास आये थे। … शंकर भगवान यूं अपने गणों का काम लहाते चलते हैं। उनकी श्रद्धा तोलते हैं, उनका तेल निकालते-निचोड़ते हैं, पर उनके साथ चमत्कार (मिराकेल) भी भरपूर करते हैं। 😆
कल सुमेधा दुआ जी ने कहा – “और ऐसा होता जाये तो बढ़िया हो…”
आशा की जानी चाहिये कि ऐसा बढ़िया होता रहेगा!
आगे का विवरण अगली पोस्ट में!
हर हर महादेव! प्रेम सागर पाण्डेय जी की जय हो!
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
हर हर महादेव…प्रेमजी शिवेच्छा से चल रहे हैं।
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