मेदिनीपुर, पठखौली, इटवा उपरवार, हुसैनीपुर/महराजगंज, बनवारीपुर, दिघवट – ये मेरे लिये वैसे ही नाम हैं, जैसे कोई देश-परदेश वाला बोस्टन, मासेचुसेट्स, कैलीफोर्निया, फ्लोरिडा, स्टॉकहोम, शांघाई और सिंगापुर के बारे मेँ कहता होगा।
मेरे बिट्स, पिलानी के बैचमेट्स और रेलवे के वेटरन अफसरों ने मुझे ह्वाट्सएप्प ग्रुपों मेँ मुझे जोड़ रखा है। उन ग्रुपों में वे लोग इन बड़े बड़े जगहों की बात करते हैं। कोई खुद वहां हैं, किसी के बच्चे वहां हैं। और कुछ तो अभी एक्टिव हैं और अपने कामधाम के सिलसिले में इन स्थानों की यात्रा करते रहते हैं। पर मेरे जीवन में तो यही आसपास के गांव और बटोही – मेरी साइकिल की सवारी भर है। 😦
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