विपन्नता और जिम्मेदारियों में यह व्यक्ति टूटने की बजाय गंगा स्नान, गीता पाठ और भरथरी के नाथ पन्थी जोगियों के भजन का सहारा ले रहा है। गजब है मूलचन्द। गजब है हिन्दू समाज!
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
विपन्नता और जिम्मेदारियों में यह व्यक्ति टूटने की बजाय गंगा स्नान, गीता पाठ और भरथरी के नाथ पन्थी जोगियों के भजन का सहारा ले रहा है। गजब है मूलचन्द। गजब है हिन्दू समाज!