विपन्नता और जिम्मेदारियों में यह व्यक्ति टूटने की बजाय गंगा स्नान, गीता पाठ और भरथरी के नाथ पन्थी जोगियों के भजन का सहारा ले रहा है। गजब है मूलचन्द। गजब है हिन्दू समाज!
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नदी, मछली, साधक और भगव्द्गीता
अचिरेण – very soon – में कोई टाइम-फ्रेम नहीं है। वह ज्ञान प्राप्ति एक क्षण में भी हो सकती है और उसमें जन्म जन्मांतर भी लग सकते हैं!