मैं अपने एक इंस्पेक्टर को कहा रहा था कि कहीं से दिनकर की उर्वशी खरीद लायें। मेरी प्रति खो गयी है। मेरे एक गाडी नियंत्रक पास में खडे थे। बोले – साहब आपने पिछली बार दिल्ली भेजा था तो कुछ लोग वहां बात कर रहे थे कि आपकी हिंदी के बारे में अगर कोई प्राबलमContinue reading “नारद और हिंदी के हर मर्ज की दवा”