नमामि देवि नर्मदे – गंगा किनारे नर्मदा की याद

मैंने अपने जीवन का बहुमूल्य भाग नर्मदा के सानिध्य में व्यतीत किया है। रतलाम मे रहते हुये ओँकारेश्वर रोड स्टेशन से अनेक बार गुजरा हूँ। पर्वों पर ओंकारेश्वर के लिए विशेष रेल गाडियां चलाना और ओंकारेश्वर रोड स्टेशन पर सुविधाएं देखना मेरे कार्य क्षेत्र में आता था। नर्मदा की पतली धारा और वर्षा में उफनती नर्मदा – दोनो के दर्शन किये हैं। यहाँ नर्मदा के उफान को देख कर अंदाज लगा जाता था की ३६ घन्टे बाद भरूच में नर्मदा कितने उफान पर होंगी और बम्बई-वड़ोदरा रेल मार्ग अवरुद्ध होने की संभावना बनती है या नहीं।

रतलाम में अखबारों में नर्मदा का जिक्र किसी किसी रुप में होता ही रहता थाबाँध और डूब का मुद्दा, पर्यावरण के परिवर्तन, नर्मदा के किनारे यदा कदा मगरमच्छ का मिलनायह सब रोज मर्रा की जिंदगी की खबरें थीएक बार तो हमारे रेल पुल पर काम करने वाले कुछ कर्मचारी नर्मदा की रेती पर सोये थे, रात में पानी बढ़ा और सवेरे उन्होंने अपने को चारों ओर पानी से घिरे एक टापू में पायाउनका कुछ नुकसान नहीं हुआ पर उस दिन की हमारी अनयूजुअल पोजीशन में एक रोचक एंट्री के रुप में यह घटना छपी

(वेगड जी का नर्मदा तट का एक रेखाचित्र जो उनकी पुस्तक में है)

नर्मदा माई को दिल से जोड़ने का काम किया अमृतलाल वेगड जी की किताब – सौन्दर्य की नदी नर्मदा“* नें. यह पुस्तक बहुत सस्ती थी – केवल ३० रुपये में। पर यह मेरे घर में बहुमूल्य पुस्तकों में से एक मानी जाती है। इसके कुछ पन्ने मैं यदा-कदा अपनी मानसिक उर्वरता बनाए रखने के लिए पढ़ता रहता हूँ। पुस्तक में वेगड जी की लेखनी नर्मदा की धारा की तरह – संगीतमय बहती है। और साथ में उनके रेखाचित्र भी हैं – पुस्तक को और भी जीवन्तता प्रदान करते हुये।
————————————————
* मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी, भोपाल द्वारा प्रकाशित

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

5 thoughts on “नमामि देवि नर्मदे – गंगा किनारे नर्मदा की याद

  1. नर्मदा स्तुतिः http://www.geocities.com/shubham_katare/aagachchhantu.wav आगच्छन्तु नर्मदा तीरे।कलकल कलिलं प्रवहति सलिलंकुरु आचमनं सुधी रे।दृष्टा तट सौन्दर्यमनुपमं अवगाहन्तु सुनीरेसद्यः स्नात्वा जलं पिबन्तु वसति न रोगः शरीरे।।आगच्छन्तु नर्मदा तीरे।मन्त्रोच्चरितं ज्वलितं दीपं घण्टा ध्वनि प्राचीरे।मुनि तपलग्नाः ध्यान निमग्नाः उत्तर दक्षिण तीरे।।आगच्छन्तु नर्मदा तीरे।http://www.geocities.com/shubham_katare/balah.wavबालः पीनः कटि कोपीनः जलयुत्पतति गंभीरे।जल यानान्युद्दोलयन्त्युपरि चपले चलित समीरे।।आगच्छन्तु नर्मदा तीरे।गुरुकुल बालाः पठन्ति वेदान् एकस्वरे गंभीरे।रक्षयन्ति नः संस्कृतिमार्यम् निवसन्तस्तु कुटीरे।।आगच्छन्तु नर्मदा तीरे।शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

    Like

  2. नील नीर शुचि गंभीर नर्मदा की धारा।धीर धीर बहे समीर हरती दुख सारा।।जल में प्रस्तर अविचल छल छल छल ध्वनि निश्छल ।मीन मकर क्रीडास्थल खोजते किनारा।।नील नीर शुचि गंभीर नर्मदा की धारा।जलचर थलचर नभचरपानी सबका सहचरकेवट धीवर अनुचर जीविका सहारा।।नील नीर शुचि गंभीर नर्मदा की धारा।परिक्रामक झुण्ड झुण्ड धारित त्रिपुण्ड मुण्डभिन्न बहु प्रपात कुण्ड त्रिविध तापहारा।।नील नीर शुचि गंभीर नर्मदा की धारा।शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

    Like

  3. जिसने वेगड़जी की पुस्तक पढ़ ली समझ लीजिए उन्होंने नर्मदा को उन लोगों से भी ज्यादा जान लिया जो नर्मदा किनारे रहते हैं।आपने प्रकाशक का उल्लेख किया यह बहुत अच्छा है।

    Like

  4. माँ नर्मदा की मैं नयी-नवेली बेटी हूँ। jaipur में जन्मी पली-बढ़ी, पर विवाह के उपरांत ससुराल मिला नर्मदा किनारे बसे होशंगाबाद में। जिनसे विवाह हुआ वे आस्ट्रेलिया के नागरिक हैं, तो मुझे 6 माह का समय मिला अपने ससुराल परिवार के संग बिताने का। तभी नर्मदा को जाना, पहचाना, पूजा। और उसी बीच नर्मदा जयंती उत्सव को साक्षात् देखने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। अविस्मरनीय!! अब सिडनी आ गयी हूँ, नर्मदा घाट जाकर माँ नर्मदा की गोद में कुछ पल बिताना याद आता है।

    Like

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started