श्री विश्वनाथ मुखर्जी की यह पुस्तक – बना रहे बनारस सन 1958 में भारतीय ज्ञानपीठ, काशी ने छापी थी. उस समय पुस्तक की छपी कीमत है ढ़ाई रुपया. अब भी शायद 30-40 रुपये के आस-पास होगी. इस 188 पेज की पुस्तक में कुल 24 लेख हैं. अर्थात प्रत्येक लेख 7-8 पृष्ठ का है. सभी लेखContinue reading “‘बना रहे बनारस’ – श्री विश्वनाथ मुखर्जी”
Monthly Archives: Jul 2007
कछुआ और खरगोश की कथा – नये प्रसंग
कछुआ और खरगोश की दौड़ की कथा (शायद ईसप की लिखी) हर व्यक्ति के बचपन की कथाओं का महत्वपूर्ण अंग है. यह कथा नये सन्दर्भ में नीचे संलग्न पावरप्वाइण्ट शो की फाइल में उपलब्ध है. इसमें थोड़े–थोड़े फेर बदल के साथ कछुआ और खरगोश 4 बार दौड़ लगाते हैं और चारों बार के सबक अलग–अलगContinue reading “कछुआ और खरगोश की कथा – नये प्रसंग”
कभी-कभी धुरविरोधी की याद आती है
मैं बेनामी ब्लॉगरी के कभी पक्ष में नहीं रहा. पर मैने धुरविरोधी को; यह जानते हुये भी कि उस सज्जन ने अपनी पहचान स्पष्ट नहीं की है; कभी बेनाम (बिना व्यक्तित्व के) नहीं पाया. मेरी प्रारम्भ की पोस्टों पर धुरविरोधी की टिप्पणियां हैं और अत्यंत स्तरीय टिप्पणियां हैं. धुरविरोधी के अन्य सज्जनों से विवाद हुयेContinue reading “कभी-कभी धुरविरोधी की याद आती है”
