सप्ताहांत का अढ़तालीस घण्टे का समय काटना अपने आप में एक प्रॉजेक्ट होता है. लगभग आधा समय तो नियमित कृत्य में व्यतीत हो जाता है. कुछ समय पत्र-पत्रिकायें, पठन सामग्री ले लेती है. मेरे साथ तो कुछ दफ्तर की फाइलें भी चली आती हैं – समय बँटाने को. फिर भी काफी समय बचता है मुद्दोंContinue reading “अलसाया सप्ताहांत और मुद्दों की तलाश!”
Monthly Archives: Sep 2007
किस्सा-ए-टिप्पणी बटोर : देबाशीष उवाच
पिछले दिनो ९ सितम्बर को शास्त्री जे सी फिलिप के सारथी नामक चिठ्ठे पर पोस्ट थी – चिठ्ठों पर टिप्पणी न करें. इस में देबाशीष ने यह कहते हुये कि टिप्पणियां अपने आप में चिठ्ठे की पठनीयता का पैमाना नहीं है; टिप्पणी की थी – … सचाई यह है कि मैं चिट्ठे समय मिलने परContinue reading “किस्सा-ए-टिप्पणी बटोर : देबाशीष उवाच”
ब्रॉडबैण्ड/ कापासिटी, नेहरू और उनकी काबीना के मंत्री
आज मेरे यहां ब्रॉडबैण्ड कनेक्शन नहीं आ रहा है. मेरे पास दो लैण्ड लाइन फ़ोन हैं और दोनो पर इण्टरनेट सुविधा है. इसके अतिरिक्त बीएसएनएल की मोबाइल सुविधा पर जीपीआरएस के जरीये भी इण्टरनेट मिल जाता है. आजभोर वेला से ये तीनों नहीं काम कर रहे. अभी शाम के समय यह इण्टरनेट धीरे-धीरे प्रारम्भ हुआContinue reading “ब्रॉडबैण्ड/ कापासिटी, नेहरू और उनकी काबीना के मंत्री”
