कम्प्यूटर तकनीक बच्चों से सीखें


मेरे पास रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी आये। उन्होने कहीं से सुना था कि मेरे पास कोई वेब साइट है, जिसपर मैं लिखता हूं। ये वरिष्ठ अधिकारी नॉन-टेक नहीं हैं। इंजीनियर हैं। उन्होने जब संघ लोक सेवा अयोग की परीक्षा पास की होगी तब इंजीनियरिग प्रतिभा की क्रीम रेलवे में आती थी।

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(उम्र के साथ) अव्वल तो आदमी में सीखने का मद्दा नहीं बचता। बचता भी है तो अपने से छोटों पर यह जाहिर हो कि हम अनाड़ी हैं – बड़ी तौहीन महसूस होती है।

इन वरिष्ठ अधिकारी महोदय को भी अपने काम की तकनीक का अच्छा अनुभव है। पर जहां कम्प्यूटर/इण्टरनेट के प्रयोग का नाम आता है, अपंग महसूस करते हैं। मुझे नहीं लगता कि यह पीढ़ी (और यह मेरी पीढ़ी है) कम्प्यूटर तकनीक का बहुत प्रयोग करेगी। बहुतों को मैने मोबाइल फोन के मूलभूत प्रयोग से आगे बढ़ने में उलझते देखा है।

मैंने उन सज्जन को ब्लॉग बनाने के बेसिक्स बताये। उन्हे अपने ब्लॉग के बारे में बताया। उन्हें विश्वास ही न हो रहा था कि मैं यह सब लिखता-करता हूं। वे चले गये। थोड़े जोश और अधिक कंफ्यूजन में। मुझे नहीं लगता कि वे स्वयम मेरा ब्लॉग खोलेंगे या खोल पायेंगे। ऐसे लोग अपवाद नहीं, बहुतेरे हैं।

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सभी रेल प्रशासनिक अधिकारियों को रेलवे ने लैपटॉप दिये। हमने जब अपना लैपटॉप प्राप्त किया तो बहुत उत्सुकता थी। पर ज्यादातर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बड़ी साफगोई से कहते पाये गये कि यह कम्प्यूटर तो उनके बच्चे प्रयोग करेंगे।

नये लैपटॉप ने मेरे पुराने बूढ़े सेलेरॉन वाले असेम्बल्ड पीसी को लगभग 85% विश्राम दे दिया है। पर लगभग सभी अधिकारी जो मेरी जान पहचान वाले हैं, या तो लैपटॉप का प्रयोग नहीं कर रहे या फिर उनके बच्चे उसका उपयोग कर रहे हैं। कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अवश्य प्रयोग कर रहे हैं इस सुविधा का।

कम्प्यूटर तकनीक (या कोई भी तकनीक) का प्रयोग करने में उम्र बाधक नहीं।1 पर झिझक अवश्य देती है। अव्वल तो आदमी में सीखने का मद्दा नहीं बचता। बचता भी है तो अपने से छोटों पर यह जाहिर हो कि हम अनाड़ी हैं – बड़ी तौहीन महसूस होती है।

सरकारी अफसर के साथ एक और फिनॉमिनॉ है। वह नये गैजेट के लिये एक बन्दा ढ़ूंढता है जो उसका प्रयोग कर सके। वह स्वयम ‘गिफ्ट ऑफ द गैब’ (बकबक करने की प्रतिभा) के माध्यम से काम चलाता है। प्राइवेट सेक्टर में शायद लोग ज्यादा उम्र में भी तकनीक का प्रयोग सीखने में तत्पर रहते हों।

तो मित्रों, तकनीक का प्रयोग सीखने में अगर दिक्कत है तो अपने से छोटी उम्र के व्यक्ति को दोस्ताना अन्दाज में पकड़िये!


1. इसी लिये जब अनूप शुक्ल जब मेरी कल की पोस्ट पर टिप्पणी देते हैं कि – ‘आपने पुलकोट के भी आगे फोटो लगाना सीख लिया। क्या कहने!’ और फिर फोन पर वही बात दुहराते हैं तो (यद्यपि मैं यूं जताता हूं कि कोई खास बात नही है; पर) मन ही मन प्रसन्न होता हूं।

आखिर बढ़ती उम्र में तकनीकी खुराफात जिन्दा तो है!Thumbs-up

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

15 thoughts on “कम्प्यूटर तकनीक बच्चों से सीखें

  1. @ आखिर बढ़ती उम्र में तकनीकी खुराफात जिन्दा तो है तो इस पुरानी पोस्ट की खुराफात से अब तक के खुरपेंचिये होने तक पर एक पोस्ट लिख दिजिये :) मैं तो यह सोच कर थोडा परेशान हूं कि मैं कमेंट दे रहा हूँ तीन साल पुरानी पोस्ट पर और जिन लोगों ने फॉलो अप में टिक कर रखा होगा वह तीन साल बाद कमेंट मिलने पर न जाने क्या सोचे :) खैर, अब अपना मानसिक हलचल बंद करता हूँ, बाकी फिर कभी।

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  2. तुम्ही ने लिखना ब्लॉग सिखाया..चलना सबके साथ सिखाया. जिस दिन सीखना बंद हुआ समझो जीने का अर्थ खो गया. उम्र सीखने में आड़े नहीं आती आड़े आती तो मुझे आप जैसे बुध्धिमान लोगों से मुलाकात हुए बिना ही कूच करना पड़ता दुनिया से. इस तकनीक से कुछ ऐसे लोगों से परिचय हुआ जो मैं समझता था सिर्फ़ किताबों में ही मिलते हैं.मेरी माताजी भी इस उम्र में अपने आप, कंप्यूटर खोल के ताश का खेल खेलती हैं. यकीन न आए तो ख़ुद आ के देखें.नीरज

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  3. सिखने की कोई उमर वैसे तो नही होती, पर नयी पीढी ने पिछले करीब १० सालो मी आए हुए इस तकनीकी बदलाव को जैसे बडो से कुछ बचा छिपा कर रखा. अगर बापू को भी सिखा दिया की मोबाइल में मैसेज कैसे पढ़ते हैं, तो वो पढ़ ना लेंगे गर्ल फ्रिएंड्स के मैसेज? मैं स्वयं इस नई युवा पीढ़ी का होकर भी इस सत्य को पुरी तरह से स्वीकार करता हूँ.

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  4. सीखने की कोई उमर नहीं होती। अरविन्द कुमारजी (समान्तर कोष वाले) अब ६५ साल की उमर में कम्प्यूटर पर काम करना सीख रहे हैं। और तमाम उदाहरण हैं। आपकी पोस्ट बढ़िया लगी। :)

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  5. एक पोस्ट का नुसकान हो गया… फोटो लगाने पर एक पोस्ट ठोकनें का मन था। खैर पोस्ट का शीर्षक होना चाहिये था.. कम्प्यूटर तकनीक बड़ों से भी सीखें। :)

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