घना कुहासा – एक सूचना


सवेरे सवेरे मेरे गाड़ी-नियन्त्रण कक्ष ने सूचना दी कि गाजियाबाद-कानपुर-झांसी रेल खण्ड में घना कुहासा है। आगरा-बांदीकुई और मथुरा-पलवल खण्ड में भी यही हालत है। कुहासा होने की दशा में ट्रेनें धीमी (सुरक्षित) गति से चलती हैं। स्टेशन के पहले पटरी पर पटाखे लगाये जाते हैं, जिससे उसकी ध्वनि से ट्रेन चालक सतर्क हो जाये कि स्टेशन आ रहा है और वह सिगनल की दशा देखने का विशेष यत्न करे और सुरक्षित चले।

कुहासे के मौसम को देखते हुये कुछ गाड़ियां हमने ८ दिसम्बर से निरस्त की हैं। पर लगता है कि समय से पहले कोहरा पड़ने लगा। मेरे सिस्टम पर १७ ट्रेनों की समयपालनता आज सही नहीं रह पायी और उनमें से ८ गाड़ियां कुहासे के कारण लेट हो गयी हैं। यह संख्या बढ़ने ही जाने वाली है। सोच कर कष्ट हो रहा है!

सवेरे की सैर में भी कुहासे का असर दिखा। आप यह दो चित्र देखें।

Gyan(230) Gyan(231)

यह दशा इलाहाबाद की है, गंगा नदी से आधा किलोमीटर दूर, जहां कोहरा कम है।

फ़िर भी प्रात भ्रमण करने वाले भी कम हो गये हैं।

यह तो लेट ट्रेनों पर लेट पोस्ट है। आजकी राइट टाइम पोस्ट है – सुनहिं राम जद्यपि सब जानहिं


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

12 thoughts on “घना कुहासा – एक सूचना

  1. ज्ञानदत्त जी, अब तो इलेक्ट्रानिक तकनीक इतना विकास कर चुका है कि कुहरे में भी “देखा” जा सकता है. ऐसे उपकरण काफी महंगे है, लेकिन उनकी जरूरत भारत में सिफ कुछ जगह है. इन स्थानों पर इनके उपयोग से दक्षता में जो सुधार होगा, उसके द्वारा यह कीमत एक साल में ही वसूल हो जायगी. क्यों ना यह सुझाव आप आगे बढा दें

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  2. कल कि आराम वाली बात शायद आपने अबतक दिल से नही निकली लगता है. तभी तो दो दो पोस्ट ठेली है आज. खैर आपकी पोस्ट पढ़कर सुबह सुबह कि ताजगी महसूस हो रही है. रही बात जानकारी कि तो पटाखे वाली जानकारी वाकई नई और अनोखी है.

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  3. कोहरे की बात समझ में आ गयी , सही है सुंदर है !आपकी लेट ट्रेनों पर भी पोस्ट बढिया है और राइट टाइम पर भी , अछा लगा !

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  4. शुक्रिया पटाखों वाली जानकारी के लिए!!>>>> प्रभो, बाह्य कुहरा तो देर सबेर छंट ही जाता है पर मानव मन पर छाए कुहरे का क्या, वह तो “ज्ञान” रुपी प्रकाश पाने के बाद भी छंट जाने से इनकार करता ही रहता है।

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  5. बचपन मे खिलौना ट्रेन जब चक्कर लगाती थी तो सुमधुर ध्वनि पटरी पर लगी रंगीन प्लेटो से टकराने से पैदा होती थी। क्या यह सम्भव है कि स्टेशन के पास ऐसी प्लेटे लगायी जाये जो विशेष आवाज करे ताकि चालक समेत सभी को बताये कि गाडी आ रही है। यह आप्शनल हो ताकि बाकी मौसम मे यह अनावश्यक शोर न करे।

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  6. संजय बेंगानी > कुहासे में ड्राइवर देख सके वैसी कोई प्रणाली विश्व में कहीं है?हां जब मैं मुख्य सेफ्टी ऑफीसर था पूर्वोत्तर रेलवे में तो सेना द्वारा प्रयोग किये जाने वाले इन्फ्रा-रेड चश्मों के बारे में हम सोच रहे थे। पर बात बहुत आगे नहीं बढ़ी। उससे कुहासे में देखा जा सकता है।

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  7. ध्यान दे आज माडरेशन लेट हो रहा है ..इसमे कोहरे का असर पर सफ़ाई दे…:)

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