आज दुकान बन्द है!


मुगल सराय -गाजियाबाद खण्ड पर रेल गाड़ियों का रेला है। दो दिन पहले के कुहासे और माल गाड़ियों की संख्या वृद्धि ने यह रूट चोक कर रखा है। जब गाड़ियाँ ज्यादा हों तो छुट पुट आकस्मिक घटनायें भी बहुत अधिक अस्तव्यस्त कर देती हैं यातायात को। उसके बाद दो प्रकार के काम बढ़ जाते हैं – जो कुछ गड़बड़ हुआ उसका विश्लेषण और दूसरा ठुंसे हुये यातायात को निकालने/धकेलने का कार्य।

कल शिकोहाबाद-इटावा के बीच एक स्टेशन पर 25 केवी के ओवर हेड ट्रांसमिशन के एक खम्भे के टूटने से ट्रेक्शन विद्युत का अवरोध लम्बा चला। उससे बहुत गाड़ियाँ प्रभावित हुईं।

अवरोध के कारण जैसे जैसे यातायात शिथिल होता है, वैसे वैसे मानसिक तनाव बढ़ता है। मानसिक तनाव बढ़ने से मानसिक हलचल कुन्द हो जाती है। मानसिक हलचल कुन्द होने से ब्लॉग पोस्ट बनना-पब्लिश करना सम्भव नहीं हो पाता। शायद सम्भव हो भी तो मन नहीं होता!

सो आज यही कहना है कि आज दुकान बन्द है! कल सवेरे समय पर चलेगी हलचल एक्स्प्रेस!


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

10 thoughts on “आज दुकान बन्द है!

  1. सुबह सुबह आपकी दुकान नहीं खुली थी पर शिव भईया की दुकान खुल गई थी सो हमने वहीं से हर्बल वाली चाय पी थी अब आपने थोडा ही सहीं शटर खोला तो ।घर पर ब्‍लाग मित्र का फोन और गांव की कुंठा

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  2. यदि ब्लॉगर की दुकान थोड़े समय के लिए किसी कारण से बंद रहती है तो ब्लॉगर को चैन कहाँ मिलता है. आपने सुंदर ढंग से रेलवे की सच्चाई का चित्रण किया है . भविष्य मे रेल कर्मियो की जिंदगी के बारे मे जानकारी देते रहे. धन्यवाद

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  3. हूँ। इतवार की रात मैं पुरानी दिल्ली स्टेशन पर नौ बजे से कालका मेल का इंतज़ार कर रहा था, चंडीगढ़ जाने के लिए। गाड़ी पहुँची रात एक बजे – पूरी सवा चार घंटे देर से। अभी ध्यान आया गुज़री तो इलाहाबाद से ही होगी न। इसके पीछे क्या कारण था वह भी बता पाएँ तो अनुकंपा होगी।

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  4. दुकान तो खुल ही ली। भले ही ये बताने को कि दुकान बंद है। अच्छा है आप बताते रहते हैं, तो पता चलता रहता है कि रेलगाड़ी में कितने काम होते हैं। सच्ची आपके ब्लाग को पढ़ने से पहले हम तो सिर्फ यह जानते थे कि टीटीई और रेल ड्राइवर के अलावा तो रेलवे में कुछ नहीं ना होता। रेल में इत्ती टाइप के काम के होते हैं, अब समझ में आ रहा है।

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  5. बहुत दिनों बाद फुरसत निकालकर बैठा था तो आप दिखे नहीं। अब उठ रहा तो पता चला कि दुकान बंद है। चलिए आदत पड़ गई है तो रोज का आना-जाना लगा रहेगा।

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